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यूजीसी पे स्केल लागू न होने पर यूनिवर्सिटी तथा कॉलेज टीचरों द्वारा की गई रोष रैली

पंजाब फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स आर्गेनाईजेशन(PFCUTO) के बैनर तले फ़ेडरेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर्स असोसिएशन(PUTA),जीएनडीयूटीचरअसोसिएशन(GNDUTA), पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी टीचर्स असोसिएशन(PAUTA)लुधियाना, गुरु अंगद देव वेटेरनरी साइंस यूनिवर्सिटी (GADVASUTA) लुधियाना, पंजाबी यूनिवर्सिटी टीचर्स  असोसिएशन(PUTA) पटियाला, गोवर्नामेंट कॉलेज टीचर्स असोसिएशन(GCTA), पंजाब एवम चंडीगढ़ कॉलेज टीचर्स यूनियन(PCCTU) द्वारा आज सामूहिक छुटी लेकर यूनिवर्सिटी एवम कॉलेजों में काम रोककर पंजाब तथा चंडीगढ़ में  यू जी सी पे स्केल लागू होने में हो रही देरी के विरोध में सेक्टर 25 चंडीगढ़ में विशाल धरना दिया  तथा जब  मुख्यमंत्री आवास की तरफ़ मार्च शुरू किया तो चंडीगढ़ पुलिस द्वारा उन्हें रोक दिया गया। हिमाचल प्रदेश से भी टीचरों द्वारा रैली में भाग लिया गया। डॉ जगवंत सिंह(महा सचिव PFUCTO) द्वारा रैली को सम्बोधित करते हुए कहा गया के पंजाब सरकार द्वारा 6वेंपंजाब पे कॉमिशन  की घोषणा की जा चुकी है यहां तक के चंडीगढ़ द्वारा भी अपने मुलाजिमों के लिए इसे लागू कर दिया गया है, लेकिन यू जी सी पे स्केल जो के साथ में ही लागू हो जाना चाहिए था उसका अब तक कोई  अता पता नहीं है। यूनिवर्सिटी कॉलेज के टीचर्स ही ऐसे हैं जिनका अब तक पे स्केल  संशोधित नहीं हुआ है। और यह पंजाब और चंडीगढ़ की यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के टीचरों के लिए अत्याधिकचिंताऔरकष्टकाविषयहै

PFUCTOके अध्यक्ष किंगरा ने कहा कि पंजाब एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसने अबतकनवंबर 2017 में अधिसूचित यूजीसी वेतनमानों और 2018 में यूजीसी के नियमों को अधिसूचित नहींकिया है।और इसका सीधा असर पंजाब यूनिवर्सिटी, यूटी के कॉलेजों तथा हिमाचल प्रदेश के कॉलेजों पर पड़ता है जो पंजाब सरकार की अधि सूचना को अपनाते है।

पुटा अध्यक्ष डा एन एस दयोल ने कहा के वो लम्बे समय से तत्काल मुद्दों तथा यूजीसी के पेस्केल के लागू होने का इंतज़ार कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने अबतक इन गंभीर मुद्दों पर चुप्पी साधी हुई है, और ऐसे में जब कोरोना के प्रकोप के बाद ब मुश्किल कॉलेज खुलें है, और उन्हें अध्यापक दिवस की पूर्व संध्या पर आंदोलन केरा स्ते पर चलने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

पुटा के अध्यक्ष डॉ. मृत्युंजय कुमार ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पहले विभाग के साथ उनकी चर्चा में प्रतिक्रिया सकारात्मक थी लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई। वे पंजाब सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन को जरूरी काम करने के लिए दबाव डाल रहे थे लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसने सामान्य रूप से शासन के बारे में गंभीर चिंताओं को उठाने वाले शिक्षकों को चकित कर दिया था।

जीसीटीए के अध्यक्ष डॉ. बीएस टोराने मांग की कि सरकारी कॉलेजों में रिक्त पदों को तत्काल भरा जाए.

पीसीसीटीयू के महासचिव डॉ. एस.एस. रंधावा ने कहा कि कर्मचारी संबद्ध कॉलेज सेवा सुरक्षा अधिनियम-1974 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के अनुरूप लाया जाना चाहिए।

पीसीसीटीयू के अध्यक्ष डॉ. विनयसोफतद्वारा 1925 सहायता प्राप्त कॉलेज शिक्षकों को नियमित करनेकीमांगकी।

जीएनडीयूटीएके अध्यक्ष डॉ. लखविंदर गिल ने कहा कि पंजाब तथा चंडीगढ़ की यूनिवर्सिटी तथा कॉलजों को यूजीसी के वेतनमान से अलग करना अस्वीकार्य है।

एचपीजीसीटीए के अध्यक्ष डॉ आर एल शर्मा और प्रो एस एल कौशल ने भी रैली को संबोधित किया। विश्वविद्यालयों के शोध छात्र और विद्वान भी यह कहते हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए कि यूजीसी से अलग होने का निर्णय उन्हें सीधे आहत करता है और वे आने वाले दिनों में बड़ी संख्या में विरोध में शामिल होने की योजना बना रहे हैं। आंदोलन का समर्थन करने वाले छात्र संगठनों में शामिल हैं ……..

शिक्षकों ने शिक्षक दिवस यानी 5 सितंबर से लगातार विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया। पंजाब यूनिवर्सिटी में शिक्षक दिवस पर भूखहड़तालका कार्यक्रम शुरू होगा। इसके बाद शिक्षक प्रतिदिन दो घंटे तक कक्षाओं का बहिष्कार/धरना आदि कर विरोध प्रदर्शन करेंगे। हालांकि छात्रों के हित में प्रवेश कार्य बाधित नहीं किया जाएगा।

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